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14.11.2024 (DarbhangaOnline) (दरभंगा) : मिथिला विभुति पर्व समारोह के दूसरे दिन आज मिथिलाक गाम विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विद्यापति सेवा संस्थान दरभंगा के तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन दरभंगा के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ओम प्रकाश ने दीप प्रज्वलित कर किया। सुधा डेयरी दरभंगा के प्रबंधक सुभाष कुमार सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे जबकि प्रख्यात पत्रकार विष्णु झा संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे थे। इस संगोष्ठी में लगभग 40 आलेख प्राप्त हुए थे जिन्हें संकलित कर पुस्तकाकार किया गया और मौके पर ही अतिथियों ने इसका लोकार्पण भी किया। विदित हो कि पिछले वर्ष भी मिथिलाक गाम विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया था जिसमें 90 से अधिक गांव के संबंध में जानकारी प्राप्त हुई थी।

उसे भी पुस्तकाकार किया गया था। संगोष्ठी के संयोजक प्रख्यात साहित्यकार मणिकांत झा ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की आत्मा गांव में निवास करती है और खासकर मिथिला तो गांव का ही क्षेत्र है जहां धरती से सीता उत्पन्न हुई है, देवाधिदेव महादेव महाकावि विद्यापति की चाकरी करने हेतु उनके यहां उगना बनकर बहुत दिनों तक रहे थे। उस मिथिला के छोटे छोटे गाँवों मे जानकारी का खजाना भरा पड़ा है। आवश्यकता है उसके दस्तावेजी करण का जो इस संगोष्ठी के माध्यम से किया जा रहा है। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए चिकित्सक डॉक्टर ओमप्रकाश ने कहा की गांव में रहने वाले लोग शहर के सभी सुख सुविधाओं को प्राप्त करते हैं किंतु अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को आज भी अक्षुण्ण बनाए हुए हैं।आवश्यकता है गांव में चल रहे रीति रिवाजों को संजोकर रखने की।

मुख्य अतिथि के पद से बोलते हुए सुभाष कुमार सिंह ने कहा की गांव में सीखने के लिए बहुत कुछ पड़ा हुआ है। आज भी हम अपने दैनिक जीवन में गांव में सुनने वाले मुहावरों को तथा कहावतों को चरितार्थ कर रहे हैं। उन्होंने इस तरह के आयोजन की सराहना की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के पद से बोलते हुए प्रोफेसर अयोध्या नाथ झा ने मिथिला के विभिन्न गांवों से आलेख आने की आवश्यकता पर बल दिया। डॉक्टर महेंद्र राम ने अपने गांव के गुणों का बखान किया। आगत अतिथियों का स्वागत संस्थान के महासचिव डॉक्टर बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने अपने उद्बोधन से किया।

उन्होंने कहा की विद्यापति सेवा संस्थान मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए कृत संकल्प है। संस्थान के अध्यक्ष तथा पूर्व कुलपति प्रोफेसर शशि नगर नाथ झा ने कहा कि इस संगोष्ठी कि यह सफलता है की पुस्तक के माध्यम से हम विभिन्न गांवों के विशिष्टता को समझ सकेंगे।

संगोष्ठी में डॉक्टर सती रमण झा, शंभू नाथ मिश्रा आसी , कामेश्वर कुमार ओझा , रितु प्रज्ञा, गोपाल कुमार झा, प्रभाकर कुमार झा ,डॉक्टर सत्येंद्र कुमार झा, मोहन मुरारी झा , सुमित श्री झा, डॉ अजय कुमार, डॉक्टर प्रतिभा स्मृति, साहेब ठाकुर, प्रतिभा किरण, मुन्नी मिश्र, आनंद शंकर, इंदु कुमारी, बागेश्वरी कुमारी, डॉक्टर पूनम कुमारी झा, रामचंद्र राय, नीलम झा, स्वर्णिम किरण प्रेरणा सहित अनेक वक्ताओं ने अपने आलेख का पाठ किया। धन्यवाद ज्ञापन हरि किशोर चौधरी ने किया जबकि कार्यक्रम का शुभारंभ पंडित गंधर्व कुमार झा के बेदध्वनि एवं डॉ ममता ठाकुर के गाए भगवती वंदना से और समापन जानकी ठाकुर के गाए नचारी से किया गया।