22.12.2024 (DarbhangaOnline) (दरभंगा) : मिथिला क्षेत्र में मखाना की खेती को रोजगार सृजन का श्रोत बनाया जाएगा। इस खेती के लिए मिथिला क्षेत्र के 25 जिले में आम किसानों को परंपरागत तथा आधुनिक रूप से इसके पैदावार तथा इसके मार्केटिंग के लिए ठोस नीति पर पहल की जाएगी। इस चमत्कारिक जलीय फसल में उत्तर बिहार की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में क्रांति ला देने की पूरी क्षमता है तथा अब मखाना की खेती तथा इसके ग्लोबिंग मार्केटिंग के माध्यम से करोड़ों लोगों को रोज़गार मुहैय्या होगी। जिसके लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

दरभंगा सांसद सह लोकसभा में भाजपा सचेतक डा गोपाल जी ठाकुर ने डा ठाकुर ने इस विषय पर दूरभाष पर कृषि मंत्रालय के अधिकारियों से बात करने के बाद उपरोक्त बातें कही हैं। सांसद डॉ ठाकुर ने बताया कि लोकसभा का शीतकालीन सत्र अब खत्म हो चुका है तथा वे शीघ्र ही दरभंगा पहुंचकर मखाना अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर तथा मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक एवं अन्य अधिकारियों के एवं किसानों के साथ मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा कार्यालय में एक समीक्षात्मक बैठक के माध्यम से वृहत चर्चा करेंगी तथा जागरूकता के लिए ठोस नीति तैयार की जाएगी। सांसद डा. ठाकुर ने बताया कि मखाना एवं मखाना आधारित उत्पादों की बढती राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मांग उत्तर बिहार की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो सकती है।

विश्व के कुल मखाना उत्पादन में बिहार का योगदान लगभग 80 प्रतिशत है। मखाना की खेती एवं प्रसंस्करण में किसानों व् उद्यमियों की बढती रूचि, बेहतर आमदनी की सम्भावना, सकारात्मक नीतियाँ, एवं राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा के शोध एवं प्रसार प्रयासों के कारण पिछले पाँच वर्षों में मखाने की खेती का विस्तार तेजी से हुआ है। पांच वर्ष पहले तक मखाने की खेती लगभग 15 हज़ार हेक्टेयर में होती थी जो अब 30 से 35 हजार हेक्टेयर में होती है। इसकी उत्पादकता इस दौरान 14-16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बढ़ गई है। प्रति हेक्टेयर आमदनी 50-60 हजार रुपये से बढ़कर 1.5 से दो लाख तक अनुमानित है।

मखाना किसानों और उद्यमियों की संख्या भी अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। सासंद डा. ठाकुर ने मखाना की खेती को रोजगार सृजन का मज़बूत श्रोत बताते हुए कहा कि बिहार के दरभंगा जिले में मखाना की खेती से 1 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर से 3 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक की आमदनी देखी गई है। दरभंगा स्थित मखाना अनुसंधान केंद्र को राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त होने के साथ ही संस्थान में शोध के लिए जरूर आधारभूत संरचनाओं का विकास तेज हो गया है। विकासात्मक कार्यों के लिए फण्ड की उपलब्धता बढ़ी है साथ ही वैज्ञानिकों की संख्या भी बढ़ी है। मिथिला के किसानों व् उद्यमियों के साथ साथ पूरे देश में मखाने के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक अभियान चलाया जाएगा।