22.12.2024 (DarbhangaOnline) (दरभंगा) : 22 दिसंबर को मैथिली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर तत्कालीन प्रधानमंत्री परम श्रद्धेय स्वo अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने साढ़े आठ करोड़ मिथिलावासियों के सम्मान को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया था। आठवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद मैथिली को कानूनी तौर पर आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला। इसलिए 22 दिसंबर का दिन साढ़े आठ करोड़ मिथिलावासियों के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है।

सांसद सह लोकसभा में भाजपा सचेतक डा. गोपाल जी ठाकुर ने मैथिली अधिकार दिवस पर मिथिलावासियों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए उपरोक्त बातें कही हैं। सांसद डा ठाकुर ने मैथिली भाषा की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि अति प्राचीन व अति समृद्ध माँ जानकी की यह भाषा प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक रूप से समृद्ध रहा है और इस विरासत को जीवंत रखने के लिए इसे आठवीं अनुसूची में शामिल करना मील का पत्थर साबित हुआ है। सांसद डा ठाकुर ने मैथिली भाषा के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मैथिली भाषा की एक स्वतंत्र और समृद्ध लिपि है और करोड़ों लोगों की मातृभाषा है।

यहां तक कि झारखंड राज्य की द्वितीय राजकीय भाषा मैथिली है। 2003 में परम श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने मैथिली भाषा को अष्टम अनुसूची में शामिल करके इस भाषा की महत्ता को स्वीकार किया। आज मैथिली भाषा ना केवल शिक्षा का माध्यम है अपितु शासन और प्रशासन की भी भाषा है। सांसद डा. ठाकुर ने मैथिली भाषा के सांस्कृतिक विकास के लिए इसे रोजी रोजगार से जोड़ने, इस भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के लिए अपने पहल और प्रयासों की जानकारी देते हुए कहा कि मैथिली भाषा शास्त्रीय भाषा का दर्जा पाने हेतु सभी मापदंडों को पूर्ण करती है जिस संबंध में उन्होंने संबंधित मंत्री से मिलकर अपनी बातें रखी है।

सांसद डा ठाकुर ने मिथिलावासियों से आह्वान करते हुए कहा है कि इस अवसर पर हर घर में मैथिली भाषा का प्रयोग करें यह हमलोगों का नैतिक कर्तव्य बनता है।